कबूतर तुम बहुत भोले हो
तुमने एहदे नौ में भी
झपटना, वार करना
दुश्मनों को ज़ेर करना क्यूँ नहीं सीखा
ये माना शांति के तुम पुजारी हो
नबी के तुम मुहाफ़िज़ हो
तुम्हारे अम्न के इस ज़ौक़ की
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