Quantcast
Channel: नज़्म
Browsing all 79 articles
Browse latest View live

रेहबर जोनपुरी के क़तआत

अदीबो, शाइरो, दानिशवरो तुम से गुज़ारिश है वतन ख़तरे में है, अपने क़लम का ज़ोर दिखलाओ

View Article


मज़ाहिया और तंज़िया क़तआत

गधे करने लगे हैं 'चाय नोशी'------चाय पीना मगर इंसान भूखों मर रहे हैं 'तनज़्ज़ुल' की तरफ़ माइल है इंसाँ-----गिरावट, गधे काफ़ी तरक़्क़ी कर रहे हैं

View Article


नात शरीफ़

यारब तसव्वुरात को इतनी रसाई दे, हर शै में मुझको गुम्बदे-ख़ैज़रा दिखाई दे

View Article

ग़ज़ल इन इंग्लिश

दि नेशन टाक्स इन उर्दू, दि पीपुल फ़ाइट इन उर्दू डियर रीडर देट इज़ व्हाइ, आइ राइट इन उर्दू

View Article

हज़ल : दिलावर फ़िगार

मुशाएरे के लिए क़ैद तरहा की क्या है ये इक तरह की मशक़्क़त है शायरी क्या है

View Article


नज़्म : झूट

झूट अपनी ज़िन्दगी में जब से शामिल हो गया ज़िन्दगी मुश्किल ही थी मरना भी मुश्किल हो गया

View Article

नज़्म : कैफ़ी आज़मी

तुम परेशाँ न हो, बाब-ए-करम वा न करो और कुछ देर पुकारूँगा, चला जाऊँगा

View Article

'सोहागन बेवा' : भाग-1

नेक तुलसीदास गंगा के किनारे वक़्ते शाम जा रहा था इक तरफ़ बश्शाश जपता हर का नाम

View Article


सोहागन बेवा : भाग-2

ऎ मुबारक मौत! ऎ राज़े कमाले ज़िन्दगी ऎ जहाने ख़्वाब नोशीं! ऎ मआले ज़िन्दगी ऎ पयामे रोशनी! सर्रे बक़ा ताजे हयात

View Article


नज़्म : मैं ईद क्या मनाऊँ!

तख़रीब की घटाएँ घनघोर छा रही हैं सनकी हुई हवाएँ तूफ़ाँ उठा रही हैं

View Article

नज़्म : माहौल

कमरे में एक बंगले के बैठे थे मर्द-ओ-ज़न फ़ैशन परस्त लोग थे उरयाँ थे पैरहन

View Article

नज़ीर फ़तहपुरी (पूने) के माहिये

साया हैं न दीवारें = ज़ीस्त के जंगल में = हैं धूप की बौछारें

View Article

जंग : नज़्म

हर गली कूंचे में घुस कर बन्द दरवाज़ों की सांकल खोलती है,

View Article


दिवाली आई दीप जलाएँ : शेरी भोपाली

मिट्टी में मिला दे के जुदा हो नहीं सकता अब इससे ज़्यादा में तेरा हो नहीं सकता

View Article

नज़्म : 'ज़ख़्म और मरहम'

तुम आखिर मेरी क्या हो = सच हो या एक सपना हो जानी अन्जानी सी हो = या एक कहानी सी हो

View Article


पर मेरी नब्ज़ छू नहीं सकते

हाथ मुझसे मिला के महफ़िल में तुम कहाँ खो गए ख़ुदा जाने चूमती हूँ मैं इन लबों से कभी और कभी अपनी आँख से उसको

View Article

नज़्म : इलेक्शन

हर इक कह रहा है मेरे वोटरों, मुझे वोट दो, तुम मुझे वोट दो दलीलें हैं सब की बहुत ख़ुशनुमा, हर इक गोया हक़दार है वोट का

View Article


नज़्म----क़ौमी यकजेहती (एकता)

ये देश के हिन्दू और मुस्लिम तेहज़ीबों का शीराज़ा है सदियों पुरानी बात है ये, पर आज भी कितनी ताज़ा है

View Article

मज़ाहिया क़तआत

बस तीन दिन हुए हैं बड़ीबी की मौत को सठया गए हैं दोस्तो कल्लू बड़े मियाँ चर्चा ये हो रहा है के सब भूल-भाल कर

View Article

नज़्म : नग़मा-ए-शौक़

अब तक आए न अब वो आएँगे, कोई सरगोशियों में कहता है ख़ूगरे-इंतिज़ार आँखों को, फिर भी इक इंतिज़ार रहता है

View Article
Browsing all 79 articles
Browse latest View live


<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>